(1937) में लिखा है कि कम्युनिस्टों का दृष्टिकोण इस्लाम को क्रांतिकारी और हिन्दू धर्म को पश्चगामी बताया गया है, जबकि अपने आवरण परिचय में राय ने लिखा है कि 'इस्लाम की अपार सफलता के पीछे प्रमुख कारण यह रहा है कि इस्लाम ने ग्रीस, रोम, पर्शिया तथा चीन एवं भारत की प्राचीन सभ्यताओं के पतन से उत्पन्न अत्यंत निराशाजनक स्थितियों से लोगों को बाहर निकालने की क्रांतिकारी क्षमता रही है।”
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(1937) में लिखा है कि कम्युनिस्टों का दृष्टिकोण इस्लाम को क्रांतिकारी और हिन्दू धर्म को पश्चगामी बताया गया है, जबकि अपने आवरण परिचय में राय ने लिखा है कि 'इस्लाम की अपार सफलता के पीछे प्रमुख कारण यह रहा है कि इस्लाम ने ग्रीस, रोम, पर्शिया तथा चीन एवं भारत की प्राचीन सभ्यताओं के पतन से उत्पन्न अत्यंत निराशाजनक स्थितियों से लोगों को बाहर निकालने की क्रांतिकारी क्षमता रही है।”
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एम. एन. राय की ‘ दि हिस्टोरिकल रोल आफ इस्लाम ' (1937) में लिखा है कि कम्युनिस्टों का दृष्टिकोण इस्लाम को क्रांतिकारी और हिन्दू धर्म को पश्चगामी बताया गया है, जबकि अपने आवरण परिचय में राय ने लिखा है कि ‘ इस्लाम की अपार सफलता के पीछे प्रमुख कारण यह रहा है कि इस्लाम ने ग्रीस, रोम, पर्शिया तथा चीन एवं भारत की प्राचीन सभ्यताओं के पतन से उत्पन्न अत्यंत निराशाजनक स्थितियों से लोगों को बाहर निकालने की क्रांतिकारी क्षमता रही है।